07
Jul
What is winter diesel fuel?
विंटर डीजल
- लद्दाख की जमा देने वाली ठंड में ‘विंटर डीजल’ इंडियन आर्मी की मदद (winter diesel will help Indian army in Ladakh) करने मे सहायक होने वाला है.
- यहा पर सर्दियों में तापमान माइनस 30 डिग्री तक चला जाता है. ऐसे में यहा सामान्य ईंधन काम नहीं करता.
- माइनस तापमान में काम आने वाली इस डीजल को तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) लेकर आई है ताकि सर्दियों में भी जवानों का मूवमेंट आसान हो सके.
- IOCL का दावा है कि ये लद्दाख की सर्दियों में भी जमेगा नहीं.
- ऑयल कॉरपोरेशन ने इस डीजल को सेना के Directorate General of Quality Assurance (DGQA) के पास मान्यता के लिए भेजा है.
- ये एक खास तरह की डीजल है जो IOCL ने पिछले ही साल तैयार किया है.
- ये खास तौरपर ऊंचे पहाड़ी इलाकों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है, जैसे कि लद्दाख. यहां पर सामान्य डीजल बेकार हो जाता है.
- रिसर्च टीम के अनुसार पाया गया हैं कि गाड़ियों में लगने वाले सामान्य ईंधन के फ्लो का तरीका अधिक ठंड में बदल जाता है. ऐसे में गाड़ियों में इसी ईंधन के इस्तेमाल से गाड़ियां भी खराब होने लगती हैं.
- विंटर डीजल में ऐसे तत्व होते हैं, जिससे उसका गाढ़ापन एक तय मात्रा में रहता है.
- इससे गाड़ी के ईंजन में इसकी सप्लाई सुनिश्चित होती है.
- साथ ही इसमें सल्फर कंटेंट कम होने की वजह से इंजन में इसका जमाव जल्दी नहीं होता और गाड़ियां बेहतर तरीके से और लंबे वक्त तक बिना खराब के काम करती हैं. जो विंटर डीजल को सामान्य डीजल से बेहतर बनाती हैं.
- साथ ही विंटर डीजल की सीटेन रेटिंग अधिक है. ये रेटिंग क्वालिटी को बताती है.
- इस रेटिंग से पता चलता है कि ईंधन की ज्वलनशीलता की गति और उसके जलने के लिए जरूरी दबाव कितना है.
- सीटेन रेटिंग जितनी अधिक होती है, ईंधन इंजन में उतनी ही अच्छी तरह से काम करता है.
विंटर डीजल की जरूरत क्यों पड़ी?
मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम और नेचुरल गैस ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि ये ईंधन लद्दाख, कारगिल, कजा और केलॉन्ग जैसे इलाकों के लिए तैयार किया गया है, जहां टेंपरेचर -30 होता है, और इस कारण डीजल जमने लगता है.
अब तक लद्दाख में सैनिक क्या इस्तेमाल करते आए?
- IOCL, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड अब तक सेना को हाई डीजल सल्फर पोर पॉइंट (DHPP -W) देते रहे हैं
- ताकि वहां का तापमान जब -30 डिग्री हो जाए तब भी गाड़ियों में फ्यूल काम करता रहे.
- पोर पॉइंट वो टेंपरेचर है, जिस बिंदु पर आकर द्रव्य बहना बंद कर देते हैं.
- ठंडे इलाकों में रहने वाले गाड़ियों में डीजल के साथ केरोसिन मिलाते हैं ताकि डीजल बहता रहे. हालांकि इससे पॉल्यूशन काफी ज्यादा होता है.
- माना जा रहा है कि विंटर डीजल को क्वालिटी एश्योरेंस मिलने के बाद लद्दाख में जवान उसका इस्तेमाल कर सकेंगे.
- खासतौर पर फिलहाल गलवान घाटी में जिस तरह के हालात बने हुए हैं, उसमें लद्दाख के ऊंचे स्थानों पर क्लियरेंस के बाद जल्दी ही डीजल सप्लाई की जरूरत हो सकती है.
- विंटर डीजल को ऊंचे स्थानों तक सप्लाई करने के लिए सारी तैयारियां हो चुकी हैं.
- ये पनीपत रिफाइनरी में पंप होगा और वहां से जालंधर जाएगा.
- जालंधर से फ्यूल सड़क मार्ग से लेह पहुंचेगा. यहां से वो और ऊंचे स्थानों पर ले जाया जाएगा.