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चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus)

 चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) एक RNA वायरस है जो राबडोविरिडे (Rhabdoviridae) परिवार के अंतर्गत आता है। इसे पहली बार 1965 में महाराष्ट्र, भारत में चांदीपुरा नामक एक गाँव में पहचाना गया था, जिसके कारण इसका नाम चांडीपुरा वायरस पड़ा।

मुख्य तथ्य और जानकारी

वायरस का स्वरूप:

  • वायरस परिवार: राबडोविरिडे (Rhabdoviridae)
  • वायरस जीनस: वेसेकुलोवायरस (Vesiculovirus)
  • RNA वायरस: यह एक नकारात्मक-संवेदना वाला RNA वायरस है, जो अपने जीनोम को RNA के रूप में संचारित करता है।

संक्रमण और लक्षण:

  • प्राकृतिक होस्ट: मच्छर, विशेष रूप से फ्लीबोटॉमस (Phlebotomus) जीनस के रेत मच्छर
  • मानव संक्रमण: वायरस मुख्य रूप से मच्छरों द्वारा प्रसारित होता है, लेकिन संक्रमण का तंत्र अभी भी पूरी तरह से समझा नहीं गया है।
  • लक्षण:
    • बुखार
    • गंभीर सिरदर्द
    • उल्टी
    • दौरे (Seizures)
    • तंत्रिका तंत्र की जटिलताएँ (Neurological complications)
  • संक्रमण के कारण एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) भी हो सकता है, जो गंभीर मामलों में जानलेवा हो सकता है।

रोग का प्रकोप:

  • भारत में चांदीपुरा वायरस के संक्रमण के कुछ प्रकोप दर्ज किए गए हैं। यह प्रकोप आमतौर पर मानसून के महीनों में होते हैं, जब मच्छरों की आबादी बढ़ जाती है।

निदान और उपचार:

  • निदान: चांदीपुरा वायरस संक्रमण की पुष्टि के लिए प्रयोगशाला में RT-PCR, ELISA, और वाइरल आइसोलेशन तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
  • उपचार: वर्तमान में कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा या टीका उपलब्ध नहीं है। उपचार मुख्य रूप से सहायक देखभाल (Supportive care) पर आधारित है, जिसमें बुखार और दर्द का प्रबंधन, पर्याप्त जलयोजन, और तंत्रिका तंत्र की जटिलताओं के उपचार शामिल हैं।

निवारण:

  • मच्छर नियंत्रण: मच्छरों की आबादी को नियंत्रित करना और उनकी प्रजनन स्थलों को खत्म करना महत्वपूर्ण है।
  • मच्छर के काटने से बचाव: मच्छरदानी, मच्छर निरोधक क्रीम, और उचित कपड़े पहनकर मच्छरों के काटने से बचा जा सकता है।

 चांदीपुरा  वायरस, जैसे नए और उभरते हुए वायरस, सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करते हैं। इनसे निपटने के लिए सतर्कता, शोध, और प्रभावी रोग नियंत्रण उपायों की आवश्यकता होती है।

 

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